वर्ष २००९ में हम जर्मनी स्थिति दग्स्तुह्ल काझल में आयोजित सेवा उन्मुख संरचना कार्याशाला में सम्मिलित हुये | यहाँ कमरे जानबूझ कर सादा रूप में दिये गये थे | कमरों मे टेलीविजन, रेडियो आदि सुविधायें नहीं दी गई, ताकि करने को कुछ नहीं केवल अपने को सुनिये और विचार मग्न रहिये | दिन भर की परिचर्चा के बाद कार्याशाला के प्रतिभागी एक सामान्य प्रभावक्षेत्र में सिमट गये और रात्रि काल में विचारमंथन करने लगे | ऐसी ही एक रात्रि में ग्रेगोर होह्पे (Gregor Hohpe) बोले कि हम सबको मिलकर एक घोषणापत्र तैयार करना चाहिये, ठीक उसी तरह जिस प्रकार दक्ष (Agile) समुदाय ने कुछ वर्ष पूर्व तैयार किया था | ओलफ ज़िम्मेर्मन्न (Olaf Zimmermann), निकोलाई जोसुत्तिस (Nicolai Josuttis) और सीशर पौतास्सो (Cesare Pautasso) के मध्य कुछ ईमेल के आदान प्रदान के बाद हम लोग कुछ मूलभूत विचारों एवं मसौदा मूल्यों को प्रस्तुत करने में सफल रहे | फिर हम लोगों ने निश्चय किया कि अवसर के अनुकूल हमें कुछ और महत्वाकांक्षी होना चाहिये | अतः एजेण्डा में दिये गये शेष मदों पर अपना ध्यान पुनः केन्द्रित किया | घोषणापत्र का विचार कई महीनों तक निष्क्रिय पड़ा रहा क्यों कि सोआ (SOA) समुदाय अपने मस्तिष्क को एनी थोमस मेंस (Anne Thomas Manes) के साथ तन्मय कर लिया और लोग यह कहने लगे की "सोआ मर चुका है, सेवायें अमर रहें" | यह पोस्ट मेरी यात्रा की वापसी के बाद किया गया था | तब तक स्पष्टता एवं निर्देशों की कमी के कारण सेवा उन्मुख संरचना को काफी क्षति पहुंच चुकी थी | प्रत्येक व्यक्ति एवं उनके सहभागियों के भिन्न-भिन्न विचारों एवं प्रत्यक्ष ज्ञान उभर रहे थे | यद्यपि उनमे से अधिकांश इससें सहमत थे कि जो हम एड़ाप्ट कर रहे हैं उसमे कुछ "दक्षता" एवं "हल्के युग्मन" (लूज कपलिंग) होनी चाहिये तथा सह-क्रियाशीलता को अधिकतम किया जाये और सदैव के लिये व्यवसाय के तौर तरीके में परिवर्तन किया जायें | इस अस्पष्टता को दूर करने के लिये संयुक्त प्रयास किया जाना चाहिये था | सेवा उन्मुख संरचना के विचार के विषय में न केवल विशिष्ट पुस्तकें, पेपर प्रकाशित किये जा चुके हैं बल्कि सेवा उन्मुखता वास्तविक ब्योरे, और किस लक्ष्य स्थिति को प्राप्त कर सकते हैं के बारें में भी छपा हैं | जब हमने सेवा उन्मुखता के ढ़ंग पर ध्यान केन्द्र किया तब कुछ अनुत्तरित प्रश्न जैसे "साफ्टवेयर कार्यक्रम को वास्तव में को कौन सेवा उन्मुख बनाता है?" पर विचार किया गया | वास्तविक जगत में सेवा उन्मुखता को कठिन मामलों पर प्रयोग करने पर सिध्दांत, तरीके, अभ्यास प्रकट होते रहें हैं | सेवा उन्मुख वास्तुकला, स्वयं में वितरित वास्तु मॅाड़ल के रूप में प्रतिस्थापित हो चुकी है | सेवा उन्मुख संरचना रूपी परिवर्णी शब्द साभिप्राय है और प्रतीत होता है कि इसमें स्पष्टता भी हैं | समस्या केवल इतनी थी कि बहुत कम लोग ध्यान दे रहे थे और जब एनी (Anne) ने हस्तक्षेप किया जिसे हम 'सामुदायिक हस्तक्षेप' कहना उचित समझते हैं, तब हमें सोआ शब्द को स्पष्टता देने कि ज़रूरत समझी | उन महीनो जब ब्लॉग पोस्ट पर प्रतिक्रिया को पढ़ा, तब मैंने पाया कि उद्योग में स्पष्ट विभाजन हो गया था | जो व्यक्ति अपने इस विश्र्वास में भरोसा करते थे कि सेवा उन्मुख संरचना आई.टी. हाईप साइकिल के चारों ओर आलोड़ित होने वाले के आलावा कुछ नहीं है और जो लोग हेड़लाइन से ऊपर पढ़ रहे थे वे महसूस कर रहे थे कि ये उनके लिये यह एक चेतावनी है | एक चेतावानी कि यदि हमने रास्ता नहीं बदला, तो सेवा उन्मुख संरचना विलुप्त हो सकती है | इसलिये नहीं कि इसमे सम्भावनायें नहीं हैं, बल्कि इसलियें कि इसमें अनन्त प्रचुर मात्रा में मतिभ्रम एवं असत्य सूचनायें प्रतीत हो रही थी | यह अराजकता भरी अवधि थी जिसनें मुझे विवश किया कि घोषणा-प्रत्र को जारी करने पर पुनः विचार किया जायें | उद्योग को नेतृत्व की आवश्यकता थी और यही उचित होता कि उद्योग के नेता और उद्योगपतियों को साथ लाए और औपचारिक घोषणा हो जिसमें सेवा उन्मुख संरचना एवं सेवा उन्मुखता के पीछे छिपी दूरदृष्टि नैतिक मूल्यों का तालमेल हो | द्वितीय अन्तरार्ष्ट्रीय सेवा उन्मुख संरचना के द्वितीय सिम्पोजियम की समिति में इन विचारों को लाया गया | पिछले वर्ष भी ऍमस्टरडम (Amsterdam) में मुझे बहुत से सोआ प्रवीणों से मिलने का अवसर प्राप्त हुआ | इनमें से बहुत से लोगों को वापस लौटने के लिये आमंत्रित किया गया था | इस अवसर पर एवं एकत्रित जनसमुदाय का फायदा उठाते हुये "सेवा उन्मुख संरचना समुदाय" का गठन किया गया (बाद में इसका परिवर्तित नाम "सेवा उन्मुख संरचना कार्यकारी समुदाय" हुआ) इस सेवा उन्मुख संरचना समूह को आगे बढाने के लिए मैंने सोआ समुदाय के कुछ महान लोगों से भेंट की, जिससे सदस्य संख्या को बढ़ा सके | अंत में बीस लोगों को आमंत्रित किया गया जिनमें से तीन लोग (गिन वेब्बर (Ginn Webber), इअन रोबिनसन (Ian Robinson), ग्रेगोर होपे (Gregor Hohpe)) शमलित नहीं हुए | अंतिम समूह की संख्या संतुलित थी | इनमें से आधे से कुछ कम सदस्य उत्पादन संख्याओ से संम्बद्ध थे तथा अन्य ड़ेमोगा्फिक व्यवसयी थे | प्रत्येक ने सहमति व्यक्त की कि सहबद्धता को चेक करना जरूरी है क्योंकिं यह बैठक प्रज्ञावानों की है, ना कि कारपोरेशन | प्रारंभिक सबसे बड़ी चुनौती थी व्यावहारिक प्रक्रिया की | तीन दिन के सत्र में हमारी योजना थी कि घोषणा करने के पूर्व वास्तविक वार्तालाप कर लिया जाये और घोषणापत्र को २३ अक्टूबर को कोन्फेरेंस के अंतिम दिन को सार्वजनिक किया जाये | निकोलन गोसुत्तिस (Nicolon Gosuttis) ने विचार प्रस्तुत किया कि प्रत्येक सदस्य अग्रिम रूप से घोषणा पत्र तैयार रखे | हर्बजॉर्न विल्हेल्म्स (Herbjorn Wilhelmsen) ने संशिप्त प्रस्तुति के कई नमूने तैयार किये तथा एनी थोमस (Anne Thomas) ने पुनः प्रक्रिया को शोधित किया और कहा कि मैं वास्तविक बहस से भिन्न मत रखता हूँ जब तक कि सभी प्रस्तुतियाँ पूरी न हो जायें | इसके नतीजे अच्छे निकले, क्योंकि प्रत्येक कार्यशील ग्रुप के सदस्य को अवसर प्रदान किया गया कि वह व्यक्तिगत घोषणा पत्र प्रस्तुत करो | इस दौरान ५० मूल्यवान विवरण एवं ८० सिद्धांत प्राप्त हुये | इनकी छटाई की गई, फिल्टर किया गया, प्राथमिकता का निर्धारण करने के बाद इनकी संख्या घटा कर ६ मूल्यवान विवरण एवं १४ सिद्धांत रह गये | घोषणा पत्र के कार्यक्षेत्र पर काफी चर्चा हुई तथा इसे किस स्तर पर लिखा जायें इस पर भी चर्चा हुई | इसके लिए मूल्य प्रणाली तथा संबंधित सिद्धांतों को सम्प्रेषित करना जरूरी था जिससे कि यह सूचना तकनीक (I.T.) की पहुंच में आ जाये | उदाहरण स्वरूप हमें अपने पर नियंत्रण रखना पड़ा कि "सेवा उन्मुख वास्तुकला" एवं "सेवा उन्मुखता" जैसे शब्दों की परिभाषा पर केन्द्र न हो, क्योंकि ये हमारे घोषणा पत्र के अंग नहीं थे | अंतिम रूप में हमने एक लघु घोषणा पत्र को तय किया | सिद्धांतों पर कार्य करते हुये हमने ध्यान रखा कि यह सेवा उन्मुखता की रचना के सम्बन्ध में नहीं था बल्कि सेवा उन्मुखता की ओर अहमियत के मार्गदर्शी सिध्दांतो के सम्बंध में था | इसके बावजूद हमने ध्यान में रखा कि मार्गदर्शी सिद्धांतों और उद्योग के उत्तम परम्पराओं के मध्य अन्तर क्या है | बहुत से प्रस्तावित सिद्धांत उनके अनुसार वैध परम्परायें थी, पर विशिष्ट समझी गयी थी, अत्यंत विस्तार में थी जिन्हें घोषणा-पत्र में शामिल नहीं किया जा सकता था | वास्तव में इन्हें नहीं छोड सकते थे लेकिन घोषणा-पत्र अत्यंत संक्षिप्त था, सीमित कार्यकाल का था और यह हमारे लिये बड़ी चुनौती थी | जैसे जैसे समय आगे बढ़ता गया, हमें विभिन्न प्रकार के स्थल मिेले जहॉ वार्ता को आगे बढ़ाना पड़ा यद्यपि प्रारम्भिक आवंटित समय से अधिक समय लिया गया | अंतिम दिन की समय की अस्पष्ट सीमा रेखा ने स़हयोग की तीव्रता को बढ़ा दिया | सभी प्रकार के गरमागरम बहस हुई | वाद-विवाद के अंतिम चक्र में कुछ मूल्यों और सिद्धांतों के चर्चा के समय माहौल अत्यंत गरम हो गया | लेकिन बाद में अधिकारिक घोषणा करने के कुछ मिनट समय पूर्व सब ठीक हो गया | औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद अन्त में हम सभी मुद्रित घोषणा-पत्र के दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर करने के लिये एकत्रित हुये | सभी सहमति थी कि पिछले दिनों के प्रयासों ने हमारी आशाओं को और बढ़ा दिया है लेकिन भव्यता के लिये हमें भ्रमित भी नहीं होना चाहिये | हम जान गये थे कि पूर्व संदिग्धता की स्थिति ने सम्प्रदाय को विभाजित कर दिया है | ऐसे माहौल में एक औपचारिक घोषणा के बाद प्रत्येक के आदर्शो से जुड़ना आवश्यक नहीं है, विशेष रूप से वो जो कि सामान्य मत की अनुपस्थित में लाभ की अपेक्षा करते हैं | इस घोषणा पत्र की महत्ता एवं सम्बन्धिता का आंकलन अन्तिम रूप से पूरे समुदाय से किया जायेगा तथा वास्तविक व्यवसायिक मूल्य समुदाय को प्रदान करने में इसकी भूमिका कितनी प्रभावशाली रहेगी | - थॉमस अर्ल(Thomas Erl), सेवा उन्मुख संरचना कार्यकारी समुदाय |
Sanjay Singh (संजय सिंह) Sangeeta Singh (संगीता सिंह) |